एहसास

जब जब आसमान धरती पर झुकता है

तब ही मुझे तेरे आ जाने का एहसास हो जाता है

ठण्डी हवा के झोकों के साथ चूपके से आकर

छूकर तू मुझे ऐसे एक गहरा एहसास दे जाता है

दुनिया ढूढ़े तुझे बाहर लेकिन तू है मेरे ख्यालों में

गगन जितना बड़ा है तू फिर मुझ माटी की मूरत को

क्यो अपनी स्नेह की गंगा से पवित्र कर देता है तू

तेरा मेरा कहीं तक भी कोई मेल नहीं

तू आसमान है ओर मैं धरती की धूल का छोटा कण

तेरे अपनेपन के एहसासों से जीवित हो जाती हूँ मैं